साफ शहरों की सूची में कहां है दिल्ली, आगे आने की बजाय और ज्यादा पिछड़ी

देश के साफ शहरों की सूची में एक बार फिर इंदौर और सूरत ने परचम लहराया है। मध्य प्रदेश और गुजरात के इन शहरों ने देश के दूसरे सभी शहरों के सामने मिसाल पेश की है। इंदौर तो लगातार सातवीं बार पहले पायदान पर रहा है। साफ-सफाई की इस प्रतियोगिता में दिल्ली के लिए परिणाम निराशाजनक रहे हैं। हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्वच्छता के लिए जिम्मेदार एनडीएमसी की रैकिंग में 2 पायदान का सुधार हुआ है। एनडीएमसी को इस बार सातवां स्थान मिला है।
स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में दिल्ली नगर निगम को 90वीं रैंक प्राप्त हुई है। यह पूर्ववर्ती तीनों निगमों की तुलना में बीते तीन वर्षों की रैंकिंग के अनुसार सबसे कम है। केंद्रीय शहरी और विकास मामलों के मंत्रालयों की ओर जारी की गई रैंकिंग में इस वर्ष एकीकृत दिल्ली नगर निगम ने पहली बार आवेदन किया था। दिसंबर 2022 से पहले पूर्ववर्ती तीनों नगर निगमों- उत्तरी दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अलग-अलग रूप से इस स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में हिस्सा लेते थे।
पूर्ववर्ती उत्तरी निगम की स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में 37वीं रैंक आई थी। इससे पहले स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में 45 रैंक आई थी। वर्ष 2020 के स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 43वीं रैंक प्राप्त हुई थी। पूर्ववर्ती पूर्वी निगम की स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में 34वीं रैंक आई थी। इससे पहले स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में 40वीं रैंक आई थी। वर्ष 2020 के स्वच्छ सर्वेक्षण में पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 46वीं रैंक प्राप्त हुई थी। पूर्ववर्ती दक्षिणी निगम की स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में 28वीं रैंक आई थी। इससे पहले स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में 31वीं रैंक आई थी। वर्ष 2020 के स्वच्छ सर्वेक्षण में दक्षिण दिल्ली नगर निगम को 31वीं रैंक प्राप्त हुई थी।
दिल्ली नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में नगर निगम ने अच्छा प्रदर्शन किया है। कई पैमानों पर अंक भी अच्छे आए हैं। वेस्ट टू वंडर पार्क को स्थापित करने की पहल भी की है। केंद्रीय शहरी एवं विकास मामलों के मंत्रालयों ने कुल 446 शहरों की सूची को एक ही आधार पर रैंकिंग के तहत आंका गया है। इसमें सभी को 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहर के तहत रैंकिंग प्रदान की गई है। इस संबंध में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे। पहले 6 वर्षों के दौरान नगर निगम की रैंकिंग 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में आंकी जाती थी। जिसमें कुल 47 शहर को रैंकिंग प्रदान की जाती थी। लेकिन मौजूदा परिस्थिति में इस आधार पर रैंकिंग को नहीं दिया गया है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के तहत निगम की काफी कम रैंक आएगी। इसका मूल आधार ये है कि निगम ने कई प्रयास किए हैं।